Tuesday, August 13, 2013

चलो मनाएँ जश्न आज़ादी का !!!





मर रहें हैं लाखों लोग भूख से
गर्भ मे ही मार दिया जाता है बेटियों को
बूढ़ों को धकेल दिया जाता है घर से बाहर

लेकिन अपने को क्या
चलो मनाएँ जश्न  आज़ादी का !!!

गुलामी कर रही औरत अब भी पुरुषों की
मार दी अगर खोली ज़बान कभी
डायन कहके मारे पत्थर उसको
जला दी गयी कभी दहेज के खातिर

लेकिन अपने को क्या
चलो मनाएँ जश्न  आज़ादी का !!!

हिंदू मार रहा मुसलमान को
मुसलमान काट रहा हिंदू को
जंगलों मे मारा जा रहा आदिवासियों को
सरकार बन गयी दलाल गाँधी वाले नोटों की

लेकिन अपनो को क्या
चलो मनाएँ जश्न  आज़ादी का !!!

पूंजीवादियों ने ली जगह अँग्रेज़ों की
ज़मींदारों से मिली आज़ादी किसान को
किसान कर रहा आत्महत्या अब भी
नेता रहते हैं तैयार  खून चूसने को

लेकिन अपने को क्या
चलो मनाएँ जश्न  आज़ादी का !!!

Thursday, August 8, 2013

में श्रेष्ठ हूँ !!

में श्रेष्ठ हूँ
इसलिए नहीं की में ब्राह्मण हूँ
न इसलिए की में भारतीय हूँ
में श्रेष्ठ हूँ क्यूंकि
में इंसानियत की क़द्र करता हूँ
में सारे इंसानों को बराबर मानता हूँ
में श्रेष्ठ हूँ क्यूंकि
मुझमे  सोचने समझने की शक्ति है
में इंसान के खिलाफ होने वाले जुल्म के खिलाफ आवाज उठाता हूँ
में श्रेष्ठ हूँ
इसलिए नहीं की में बलशाली हूँ
न इसलिए की में इन्सान हूँ
में श्रेष्ठ हूँ क्यूंकि
में इंसान के इंसान की तरफ  शोषण  के खिलाफ हूँ
में श्रेष्ठ हूँ

क्यूंकि में जाती प्रथा को ठुकरा चूका हूँ   

Wednesday, July 10, 2013

मैं कोई शिक्षक नहीं हूँ जो तुम्हें सिखा सकूँ कि कैसे किया जाता है प्रेम !

मैं कोई शिक्षक नहीं हूँ
जो तुम्हें सिखा सकूँ
कि कैसे किया जाता है प्रेम !
मछलियों को नहीं होती शिक्षक की दरकार
जो उन्हें सिखलाता हो तैरने की तरक़ीब
और पक्षियों को भी नहीं
जिससे कि वे सीख सकें उड़ान के गुर
तैरो-- ख़ुद अपनी तरह से
उड़ो-- ख़ुद अपनी तरह से
प्रेम की पाठ्य-पुस्तकें नहीं होतीं
और इतिहास में दर्ज़
सारे महान प्रेमी हुआ करते थे--
निरक्षर
अनपढ़
अँगूठा-छाप
-
निज़ार क़ब्बानी
अरबी भाषा (सीरिया) के सुप्रसिद्ध कवि
(
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह)

Monday, June 24, 2013

फिर भी कहते हो के ये दुनिया बड़ी हसीन है ?

किसी के टेबल पे 400 रुपये की थाली और किसी के हाथो मे 1 रोटी 
फिर भी कहते हो के ये दुनिया बड़ी हसीन है

कोई  पीता  है मिनरल वॉटर और कोई गटर का पानी 
फिर भी कहते हो ये दुनिया बड़ी हसीन हैं

पाल रखे है अनगिनत विदेशी कुत्ते किसीने और कोई अपनी रात काटता है कुत्तों के बगल मे सोके
फिर भी कहते हो ये दुनिया बड़ी हसीन है

आज में रोया जी भर के क्यूंकी मेरे पिता ने मुझे 100 रुपये देने से मना कर दिया लेकिन मेरी गली के भिखारी का बच्चा रोया क्यूंकी उसको खाना नहीं मिला 
फिर भी कहते हो ये दुनिया हसीन है

बचपन से सिखाया भगवान सबके पेट भरता है ताकि उसकी दुनिया सलामत रहे लेकिन फिर भी मरते हैं लाखों लोग भुखमरी से 
फिर भी कहते है दुनिया हसीन है 

थू है साला ऐसी दुनिया पे और उसके भगवान पे ..