कितने दिन गुज़र गए , कितनी बाते पुरानी हो गयी . क्या अब भी वो सारी बाते तुम्हे याद हैं ??
वो पतझड के मौसम के गिरे हुए पत्तों को इकठा करके मुझपे बरसाना ,
वो बारिश के मौसम में जबरदस्ती मुझे बूंदों कि झमाझम में धकेलना ,
क्या अब भी तुझे वो सब कुछ याद है ??
भूख लगने पे तेरा वो झूठमूठ का अजीब से चेहरे बनके रोना ,
और कुछ चाट मिलने पे तेरा जोर से चिल्लाना ,
क्या अब भी तुझे वो सब कुछ याद है ??
तेरे सामने किसी और कि खूबसूरती कि तारीफ़ करने में भी क्या मजा आता था ,
तेरे रूठे हुए चहरे पर मुस्कुराहट लाने में भी क्या मजा आता था ,
में तो एक एक पल को अभी भी जी रहा हूँ ,
लेकिन क्या तुझे वो सब कुछ याद है ??
वो पतझड के मौसम के गिरे हुए पत्तों को इकठा करके मुझपे बरसाना ,
वो बारिश के मौसम में जबरदस्ती मुझे बूंदों कि झमाझम में धकेलना ,
क्या अब भी तुझे वो सब कुछ याद है ??
भूख लगने पे तेरा वो झूठमूठ का अजीब से चेहरे बनके रोना ,
और कुछ चाट मिलने पे तेरा जोर से चिल्लाना ,
क्या अब भी तुझे वो सब कुछ याद है ??
तेरे सामने किसी और कि खूबसूरती कि तारीफ़ करने में भी क्या मजा आता था ,
तेरे रूठे हुए चहरे पर मुस्कुराहट लाने में भी क्या मजा आता था ,
में तो एक एक पल को अभी भी जी रहा हूँ ,
लेकिन क्या तुझे वो सब कुछ याद है ??