Wednesday, November 2, 2011

झूठी मुस्कुराहट का भी,अपना असर है !!!

झूठी मुस्कुराहट का भी,अपना असर है,
लगता है हमको,कुछ हमारी भी कदर है, .

उसकी मुस्कान का, कुछ मतलब न लगा लेना,
वो परी है जहाज़ की, दिल न उनसे लगा लेना,
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सही कहा है, परियाँ जन्नत में होती हैं,
जन्नत आसमान में होती है,
तो, आसमान के जहाज़ की ये सुंदरियाँ,
क्या परियों से कम होती हैं,
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चेहरा मुस्कुराता है, दिल न लगाती हैं वो,
बस दूर से ही,इंसान से नज़रें चुराती हैं वो,
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खुदा ने हुश्न भी तो, आसमान में लटका दिया है,
इस गरीब को इस हाल में, एक फटका दिया है,
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इतनी ख़ूबसूरती, जमीं पर पैर न धरती है,
नज़रों से लगता है, किसी और पर मरती है,
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कितना बेदर्द नज़ारा था, हुश्न होते हुए बेदारा था,
बस एक तकल्लुफ था, हुश्न भी किये किनारा था,
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कितना सहती हैं रोज़, किनके-किनके आखों कि बेहहाई,
गर पूछ लो इनसे, पता चल जाए सबके नज़र कि सफाई,
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शायद ही किसी ने, नज़रें न मिलाई हों इनसे,
नजर से दिल मिलाने की, आरज़ू की हो इनसे,
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इन हसीनों को भी, काम करना पड़ता है,
दूसरों का कितना, ख्याल रखना पड़ता है,
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गर वक्त होता, थोडा अभी पीछे,
दीदार न होता, इनका यूँ दरीचे,
होती ये किसी, सूबे की मल्लिका,
न देख पाते यूँ, इनका ये सलीका,
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पहरे में रहतीं, हर वक्त किसी के,
न गौर से देख पाते, यूँ जी भर के,
खुदा ने हम पर, मेहरबानी की है,
इनको न यूँ, किसी की रानी की है,
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सहमी सी जिन्दगी का, चेहरे से झलक आता है,
किसी और के सामने, चेहरा यूँ जो मुस्कुराता है,
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दिल में यूँ कितनी, कसमसाहट होती है तब,
कोई अनजान हसीना, मुस्कुरा देती है जब,
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कई तो आदि हैं इसके, न देखते हैं उनकी तरफ,
कैसे छिपाए, दिल का अरमाँ, देखें उनकी तरफ,

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बड़ा अजीब लगता है, हलचल सी मच जाती है,
समझ न पड़ता, दिल में झंकार से बज जाती है,

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इस तरह शायद, बहुत किस्से बने होंगे,
इन हसीनाओं के, बहुत दीवाने बने होंगे..

www.speakingtree.com से साभार ..

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